Monday, February 9, 2009

काश! ऐसा होता......


चुनाव फिर रहे हैं।लेकिन जो चेहरे हमारे सामनें आऐगें, वोट माँगनें, वह वही पुरानें चहरे हैं।जिन्हें देख देख कर जनता ऊब चुकी है।जिन की रग रग से जनता वाकिफ है। छोटे चोर और बड़े चोर में से हमीं को कोई एक चुनना होता है।हमारे नेता इसे लोकतंत्र कहते हैं।सब से बड़ा लोकतंत्रिक देश।कहनें को चुनाव में कोई भी खड़ा हो सकता है।लेकिन सब जानते हैं कि चुनाव आज क्या बन चुका है।

लेकिन यदि ऐसा हो जाए कि सैना के रिटायर अधिकारी को ही रक्षा मंत्री बनने का अधिकार हो और किसी प्रोफेसर या विश्वविधलय
के प्राध्यापक को ही शिक्षा मंत्री बनने का अधिकार हो। किसी खिलाड़ी को ही खेल मंत्र बननें का अधिकार हो। अर्थात कहने का अभिप्राय यह है कि जिसनेजो काम जीवन भर किया है। उसी को उस की योग्यता अनुसार पद दिया जाए। तो देश की तस्वीर कितनी सुन्दर हो जाएगी।इस योग्यता का होना चुनाव में खड़े होनें वालो के लिए अनिवार्य कर दिया जाए तो कितना अच्छा होगा। ऐसा करने से देश में अपराधी इतिहास वालों के चुनाव लड़नें पर रोक भी लग सकेगी। देश की जनता को सही आदमी चुननें का मौका भी मिल सकेगा।लेकिन हम सभि जानते हैं कि कुर्सीयों पर बैठें हमारे नेता ऐसा कभि होनें नही देगें।लेकिन फिर भी एक सुन्दर सपना देख रहा हूँ कि , काश! ऐसा होता....................