Saturday, May 29, 2010

तुम हमारी पोल मत खोलो...हम तुम्हारी नही खोलेगें....


जब से सुना है कि बाबरी मस्जिद के दोषीयों को राहत दे दी गई है.....मन मे अजीब सी हलचल मची हुई है.....सोचता हूँ... कही सब पार्टियां इस नीति पर तो नही चल रही कि तुम हमारे दोष मत देखो ......फिर हम तुम्हारे दोष भी नही देखेगें।तुम गोधरा के लिए बवाल मत मचाना हम ८४ के दंगे पर चुप्पी साध कर बैठे रहेगें।अफ्ज़ल को फाँसी की बात ज्यादा जोर दे कर नही उठाएगें...।आज जो नकसलवाद सिर उठाए हँस रहा है.....इसे शुरू होते ही ना  दबाने के क्या कारण हैं ?.......यह सब भी ठीक वैसे ही चल रहा है जैसे कभी पंजाब में चल रहा था.....जिस की आग बाद मे बहुत भड़क गई थी.......उस समय सरकार को उसे काबू मे करने के लिए मात्र  सैनिक कार्यवाही ही  नजर आ रही थी......लेकिन इस नकसलवाद के लिए इस सरकार को सैनिक कार्यवाही करना जरूरी नही लग रहा......यहाँ वे कहती है कि अपने देशवासीयों पर सैनिक कारवाही करना ठीक नही लगता। इस तरह की दोहरी नीतियॊ पर चलकर देश के जनमानस पर क्या असर पड़ता है इस की किसी को परवाह ही नही लगती......।

क्या देश का हित इस मे नही है कि सभी लटकते मामलों पर बिना किसी पक्ष पात के उचित कार्यवाही की जाए ?? ताकी देशवासी सम्मान पूर्वक व निश्चिंत हो कर रह सके।लेकिन मैं समझता हूँ कि दोषी हम लोग भी कम नही हैं। जब चुनाव आता है तो देश हित की जगह अपने हित की चिन्ता मे वोट डालने वाली जनता को अब यह तो सहना ही पड़ेगा....। हम कब सोचते हैं कि देश का हित किस बात में है....क्या कभी हमने यह सोच कर वोट दिया कि देश की जनता को गोधरा या ८४ के कांडो के दोषीयों को जिस सरकार ने सजा नही दी वह देश का हित कर सकेगी? जिस सरकार ने देश द्रोहीयों को फाँसी की सजा होने पर भी ....क्यों अपने फायदों के लिए ऐसे मामले लटकाये जाते हैं ? क्या कभी जनता इस बारे मे सोच कर कभी वोट डालती है।जरा अपने भीतर झाँक कर देखेगे तो खुद ही शर्मसार हो जाएगें।

गरीब जनता थोड़े से लाभ के चक्कर मे पड़ कर अपना वोट ऐसी पार्टी को दे देता है जो उस समय उसे सब्जबाग दिखा कर मूर्ख बनाने मे कामयाब होती है। पार्टीयां नेताओं की  कमजोरीयां व चोरीयां की पोल खोलने की धौंस दे कर उन से अपना उल्लू सीधा करवा रही हैं...और अपनी मनमानी कर रही हैं......मीडिया कभी ऐसे सवाल उठाता ही नही जिस से देश हित की कोई समाज मे लहर पैदा हो।ऐसे लोग ना के बराबर हैं जो ऐसी हिम्मत कर पाते है और उन्हें इस का खामिजा भी भुगतना पड़ता है। कई बार तो ऐसा अभास होता है कि नेता से पूछे गए प्रश्न ठीक वैसे ही हैं जैसे कभी परिक्षा के दिनो मे लीक हुआ कोई पर्चा हो या ऐसा लगता है कि प्रश्न भी उसी ने लिखे हैं जो उत्तर दे रहा है या फिर किसी दबाव के कारण ऐसे प्रश्न पूछे ही जा रहे।यदि ऐसे ही चलता रहा तो देश का भविष्य क्या होगा .....?....यही सोच कर डर लगता है।

दूसरी ओर दुनिया की राजनीति भी अब बहुत अनोखी हो गई है,,,, हो सकता है पहले भी ऐसी ही रही हो......लेकिन हमी ने ध्यान ना दिया हो...।आज  ज्यादातर हर देश की सरकारे पहले खुद ही समस्या को अपने फायदे के लिए पैदा करती है...और उसे हवा देती रहती है।.फिर जब यही आग पूरे जंगल मे फैल कर सब को नजर आने लगती है और जब यह आग  पैदा करने वाले की ओर ही बढ़ने लगती है तो कोई कदम उठाया जाता है....ताकि देश और दुनिया को लगे कि फंला नेता ने कितना महान काम देश हित मे किया है......। आज इसी राजनीति के जरिए दुनिया और देश को बेवकूफ बनाया जा रहा है.....और हम भी बेफकूफ बनते जा रहे हैं......हमे होश ही नही है। 

आज पक्ष और विपक्ष की सरकारें सत्ता मे बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझोता करने को तैयार दीख रही हैं...उन्हे देश का हित नही सिर्फ अपना हित ही नजर आ रहा है ....ऐसे मे आज पक्ष और विपक्ष एक ही नीति पर चल रही हैं......
तुम हमारी पोल मत खोलो...हम तुम्हारी नही खोलेगें...