आज कल के हालात को देख कर मैं अपनी ही नजरों में गिर चुका हूँ।समझ नही आता कि कैसे इन घाघ भेड़ियों, मक्कार लोमड़ों से अपने आप को बचा पाऊँगा।जिसे में गाय समझ कर भरोसा करता हूँ वही,अपने फायदे के लिए मेरे मुँह पर थूक कर चला जाता है।मैं बेबस -सा बस अपना सिर धुनता खड़ा रह जाता हूँ।लेकिन यह बात नही कि इस का मैं अकेला शिकार हूँ....आप सभी भी इन्हीं के मारे हैं।
मत दाता बहुत सोच विचार कर अपनें मत का इस्तमाल करता है।जिसे आप वोट डालते हैं,वह नेता आपका प्रिय होता है।वर्ना आप उसे वोट क्यूँकर डालोगे?आप यह मान कर उसे वोट डालते हैं कि वह ईमानदार हैं।आप उसे दूसरों से कुछ ज्यादा ईमानदार पाते हैं तभी तो उसे अपना कीमती वोट देते हो।
आप समझते हैं कि वह आप के विश्वास पर खरा उतरेगा।वह उन पार्टीयॊ के खिलाफ खड़ा होता है जिसे आप पसंद नही करते। लेकिन उस समय क्या महसूस होता है जब वह अपने ही खिलाफ लड़ने वालों के साथ मिल जाता है।सिर्फ इस लिए की उस को कोई आर्थिक लाभ हो रहा है या फिर कोई बड़ा पद मिलने का जुगाड़ नजर आ रहा है।उन से हाथ मिला लेता है।आप आज के माहौल में चाह कर भी कुछ नही कर सकते।आप उस का कुछ भी नही बिगाड़ सकते।आप सोचते हैं कि अगली बार इस को वोट नही देगें। लेकिन क्या आप को पूरा भरोसा है कि जिसे भी आप वोट देगें वह आप के विश्वास को नही तोड़ेगा? कल मौका पड़ने पर वह भी वही सब करेगा,जो आज आपके प्रिय नेता कर रहे हैं।आज आप के मत की कीमत दो कोड़ी की भी नही है।जब एक नेता के पाला बदलनें से आप का दिया मत ही आप के अपनें खिलाफ हो जाता है तो आप क्या कर सकते हैं ? यहाँ उन पार्टीयॊं की बात हो रही है जो अपनी विचार धारा को सिर्फ इस लिए तिलांजली दे देते हैं क्यूँ कि वह सत्ता का मोह नही छोड़ सकते।उन्हें , अपने देश,समाज की सेवा नही ,अपनी सेवा करनी हैं। अपनें लोगों रिश्तेदारों की सेवा करनी है।
क्या ऐसी राजनिति करने वाले नेता या पार्टीयां कभी देश का भला कर सकेगी ? क्या हम बेबस हो कर सिर्फ देखते रहेगें ?