Tuesday, July 29, 2008

हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।

यह पोस्ट उसे समर्पित है जिसनें उन्नींस साल की उमर में "वाँयस आफ इंडिया२००७"जीता था।जो अब हमारे बीच नही रहा। अपनी आवाज की बदौलत सब का प्यारा होता जा रहा था। जो अचानक एक हादसे में मौत होने के कारण अब हमारे बीच नही रहा। उसी की याद में समर्पित है यह गीत.......

हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।


माँ जाई दा इको पुत सी,

दुनिया दा सी प्यारा।

अपणें सुर नाल जग नूँ मोहदा,

सब तो सी ओ न्यारा।

पता नहीं लगया किस वैरी दी,

नजर ने उसनूँ खाया।

हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया.......


ढाईंयां मार के माँ-प्यो रोंवण,

विछोड़ा सदा दा पाया।

छोटी उमरे कितना वढा,

नां सी उसनें कमाया।

पा के प्यार नूँ तू इश्मिते ,

किथे टुर गया मेरे यारा।

हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।


Wednesday, July 23, 2008

हम सब बेबस हैं



आज कल के हालात को देख कर मैं अपनी ही नजरों में गिर चुका हूँ।समझ नही आता कि कैसे इन घाघ भेड़ियों, मक्कार लोमड़ों से अपने आप को बचा पाऊँगा।जिसे में गाय समझ कर भरोसा करता हूँ वही,अपने फायदे के लिए मेरे मुँह पर थूक कर चला जाता है।मैं बेबस -सा बस अपना सिर धुनता खड़ा रह जाता हूँ।लेकिन यह बात नही कि इस का मैं अकेला शिकार हूँ....आप सभी भी इन्हीं के मारे हैं।

मत दाता बहुत सोच विचार कर अपनें मत का इस्तमाल करता है।जिसे आप वोट डालते हैं,वह नेता आपका प्रिय होता है।वर्ना आप उसे वोट क्यूँकर डालोगे?आप यह मान कर उसे वोट डालते हैं कि वह ईमानदार हैं।आप उसे दूसरों से कुछ ज्यादा ईमानदार पाते हैं तभी तो उसे अपना कीमती वोट देते हो।

आप समझते हैं कि वह आप के विश्वास पर खरा उतरेगा।वह उन पार्टीयॊ के खिलाफ खड़ा होता है जिसे आप पसंद नही करते। लेकिन उस समय क्या महसूस होता है जब वह अपने ही खिलाफ लड़ने वालों के साथ मिल जाता है।सिर्फ इस लिए की उस को कोई आर्थिक लाभ हो रहा है या फिर कोई बड़ा पद मिलने का जुगाड़ नजर आ रहा है।उन से हाथ मिला लेता है।आप आज के माहौल में चाह कर भी कुछ नही कर सकते।आप उस का कुछ भी नही बिगाड़ सकते।आप सोचते हैं कि अगली बार इस को वोट नही देगें। लेकिन क्या आप को पूरा भरोसा है कि जिसे भी आप वोट देगें वह आप के विश्वास को नही तोड़ेगा? कल मौका पड़ने पर वह भी वही सब करेगा,जो आज आपके प्रिय नेता कर रहे हैं।आज आप के मत की कीमत दो कोड़ी की भी नही है।जब एक नेता के पाला बदलनें से आप का दिया मत ही आप के अपनें खिलाफ हो जाता है तो आप क्या कर सकते हैं ? यहाँ उन पार्टीयॊं की बात हो रही है जो अपनी विचार धारा को सिर्फ इस लिए तिलांजली दे देते हैं क्यूँ कि वह सत्ता का मोह नही छोड़ सकते।उन्हें , अपने देश,समाज की सेवा नही ,अपनी सेवा करनी हैं। अपनें लोगों रिश्तेदारों की सेवा करनी है।

क्या ऐसी राजनिति करने वाले नेता या पार्टीयां कभी देश का भला कर सकेगी ? क्या हम बेबस हो कर सिर्फ देखते रहेगें ?