जरनैल सिहँ के जूता-कांड के बाद राजनीति मे एक जबर्दस्त उबाल -सा आ गया है।पता नही अभी यह कितने दिनों तक गर्म रहेगा।ब्लोग जगत में इस को लेकर बहुत ज्यादा चर्चा शुरू हो गई है\इन ब्लोगों को पढ़ कर मन मेकई विचार उठे। उन में से कुछ आप के साथ शेयर करने को मन हुआ।यह जरूरी नहीं है कि आप भी इन से सहमत हों।
जब भी कोई न्याय की बात करता है तो उसे यह जतानें वाले बहुत से सामने आ जाते हैं कि पहले जब तुम्हारे लोगों ने किसी पर अत्याचार किया था या ज्यादती की थी।उस समय यह आक्रोश क्यूँ नही दिखाया ? तब यह जूता क्युं नही चलाया गया ? लेकिन शायद वे पूछनें वाले यह विचारनें की जहमत नही उठाते कि यदि इन प्रश्नों का उत्तर किसी के पास होता तो यह सब होता ही क्यु ? ऐसे मे हम समस्या का हल खोजने की बजाय आरोपों प्रत्यारोपों के मकड़ जाल मे उलझ कर रह जाते हैं और असल समस्या का रूप और अधिक घिनौंना हो कर हमें दिखाई देनें लगता है। जब कि होना तो यह चाहिए कि इन प्रश्नों का उत्तर आम लोगों से पूछनें की बजाय उन तथा कथित नेताओं से पूछना चाहिए कि जब-जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो वे ईमानदारी से देश हित में निष्पक्ष कार्यवाही क्यों नही करते ? वे क्यों ऐसे समय में अपने लोगों को बचाने में (वोटों की खातिर) लग जाते हैं ? यह सब तो इन्हीं का पैदा किया हुआ है । यदि वे इस बात का जवाब ईमानदारी से दे दें तो कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल सकता है।जिस के द्वारा ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।लेकिन लगता नही कि कोई इतना हिम्मत वाला ईमानदार नेता आज हमारे देश में है, या कभी निकट भविष्य में पैदा हो पाएगा। जो मज़हब की राजनिति ना करके,वोट की राजनिति ना करके, सिर्फ देश के हित का ध्यान रखते हुए,निषपक्षता से कदम उठानें कि हिम्मत कर सकेगा।यदि आज एक भी पार्टी जिसे सरकार बनाने का मौका देश की जनता देती है वह ऐसी हिम्मत कर के एक बार सही व ईमानदारी से सभी को निष्पक्ष न्याय दिलानें में अग्रसर हो जाए तो देश के चरित्र का कायाकल्प हो जाएगा।यह उठाया गया कदम एक ऐसी हवा पैदा करने में कामयाब हो जाएगा। जिस से अपराधी व भ्रष्ट राजनिति करने वाले अपने को बदलनें के लिए मजबूर हो जाएगें।लेकिन फिर वही सवाल उठता है कि यह पहल आखिर करेगा कौन ?
यदि ऐसा नही हो पाएगा तो कैसे ऐसी घटनाओं को कोई रोक सकेगा ? ऐसी घटनाओ से कैसे बचा जा सकेगा ? किसी को न्याय के लिए आवाज उठानें से कैसे रोका जा सकेगा? जब न्याय नही मिलेगा तो आम आदमी हताशा में या तो अपने सिर पर जूता मारेगा या फिर ...जिम्मेवार व्यक्तियों के....। जिम्मेवार सरकारें कमेटीयों का झुंनझुना पकड़ा कर मामले को इतना लटका देती हैं की,न्याय की उम्मीद ही मर जाती है।
दूसरी ओर हम वोट के अपने अधिकार को उपयोग करके सही लोगों को चुननें पर बहुत जोर देते हैं कि शायद ऐसा करने से देश को सही दिशा मिल सकेगी। हमारे में से बहुत से मतदाता सही व्यक्ति को जितानें के उद्देश्य से वोट भी डालते हैं।लेकिन जब दूसरी ओर जाति वाद के ,धर्म के आधार पर,अपने निहित राजनैतिक स्वार्थो के हित का ध्यान रखते हुए वोट डालने वाले अधिक हो, वहाँ आप और हमारे जैसे वोट डालने वाले की वोट कौन-सा इंकलाब ला सकेगी ?
एक बात यह हो सकती है, यदि देश के सभी राजनैतिक दल मिल कर यह तय करले कि पार्टीयों को सीटें मतदाताओं के मिले मतदानों के प्रतिशत के आधार पर मिलेगी तो शायद कुछ बेहतर परिणाम देश के हित मे आ सकेगें।जिस पार्टी को जिस राज्य में जितनें प्रतिश्त मत प्राप्त हो उसे उतनी ही भागीदारी सरकार को चलाने में दी जाए।तब शायद देश का कुछ भला हो सकेगा। नही तो ये जोड़ तोड़ की राजनिति करने वाले हमारे नेता, देश के मतदाताओं से ऐसे ही धोखा करते रहेगें।मतदाता वोट देता है किसी की नितियों का विरोध करने के लिए,लेकिन ये पार्टीयां उसी पार्टी से साँठ-गाठ करके हमारे विरोध की धज्जियां उड़ा देती हैं।इस से बचने का यही एक तरीका हो सकता है।कि पाए गए कुल मतों के आधार पर पार्टी को सीटे दी जाएं।ऐसी एक आचार संहिता बनाने की आज बहुत जरूरत है। तभी हमारे दिए गए मत की कोई कीमत लगाई जा सकेगी।नही तो हमारी वोट की कीमत कब दो कोड़ी की हो जाएगी,हम नही कह सकते।
Thursday, April 9, 2009
आखिर ये जूता क्यों चला..............
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आज हमने एक नया विकल्प आपके माध्यम से पाया है. हम सब आज की व्यवस्था से असंतुष्ट हैं. तो कुछ तो विकल्प चाहिए. हम आपका समर्थन करते हैं.
ReplyDeleteजब न्याय नही मिलेगा तो आम आदमी हताशा में या तो अपने सिर पर जूता मारेगा या फिर ...जिम्मेवार व्यक्तियों के....। जिम्मेवार सरकारें कमेटीयों का झुंनझुना पकड़ा कर मामले को इतना लटका देती हैं की,न्याय की उम्मीद ही मर जाती है। sahi kaha aapne.
ReplyDeleteParamjit ji,
ReplyDeleteAaapne hamesha mera margdarshan kiya hai...hausala afzaayee kee hai..aapke lekhanpe tippanee karun, itnee mai apne aapko qabil nahee samajhtee...
Loktantr hamhi khud zimmedaar hote hain..."rajnetaa" namak praniyon kee jo jaatee hai, hamareehee maa behnon kee upaj hai..unheen ke jaye hain...aaj hamehee antarmukh hoke sochna hai ki, kahan hamaree parvarishme, hamare sanskaron me kamee rahi jiska natijaa ham bhugat rahe hain..
Kya aapko mere any kuchh blogs,jaise ki "Lalitlekh"
"Kahanee"( isme 'kab hoga ant'ye Indian Evidence Act dafa 25/27 ke tehet jo qanoon hain, uspkee parshwbhoomee leke likhi hai...aise qanoon hamaree antargat suraksha yantranaon ke haath baandhe hue hain)
"Kavita"
"Sansmaran"
"Baagwaanee"( ye keval baagwaaneeki jaankaaree nahi, ek jeevankaa nazariya hai)
"Gruhsajja"( ye mera vyavsaay hai...apnehee gharki kuchh tasveeren dee hain...tatha us mutallak kuchh sujhav)
"Fiber art"( akeli fiber artist hun, Bharatme...chand tasveeren)
"Chindichindi"( Recycling ke zariye paryawaran kaa bachav aur kalatmaktaa)
"Aaajtak Yahantak"( 'Ye kahan aa gaye ham'...is malikaa ke tehet likh rahee hun..jab ham sirf ek nirjeev gadget pe adhik wishwas kar jaate hain, banisbat ke jis wyakteeko dashkon se jaana,uske kahepe...! Asli jeeven se lee ek ghatnaaka byora)
बहुत अच्छा सुझाव है। पर मानेगा कौन?
ReplyDeleteयह शायद मानव की नारजगी प्रकट करने का साधन है। काश इस कोशिश से सभी कुछ ठिक-ठाक हो तो शायद आपके लिखने का सफल हो जाऐ। बहुत ही अच्छा लिखा। आपको बधाई ।
ReplyDeleteहे प्रभु
bahut hi joradaar vah vah anand gaya ji .
ReplyDeletesahi baat,sahi sawal.....? javab kisi k paas nahi
ReplyDeleteसरकार किसकी है?
ReplyDeleteआप जानते हैं।
यदि नही तो, जूता ही धारदार हथियार है।
सही समय पर सही नसीहत।
सज्जनकुमार और टाइटलर का टिकट काटा क्यों?
जी हाँ! कसूरवार होने का प्रमाण स्वयं ही पेश कर दिया।
jo hua wah shi tha ya galat...is per bahas nahi karna caahta. main bhi punjabi hun, lekin kuch log soniya aur rahul gandhi k putle foonk rahe hain. manmohan singh ko kyun bhoola jaa rha hai, kyunki wo sikh hain??? mere ek sahkarmi ke ye vichaar hain. wo punjabi nahi hai. main uski baat se sahmat hun.
ReplyDeleteab samy jute ka hii hai... aam aadmi aaj vyavastha se khinn ho gaya hai... ab yahi tareeka chalega... jo bhi ho jute ne 2 logo ka ticket kaat liya yah khushi kii baat hai... aakhir pm ne bhii in dono ko ticket dene se pahle yah dhaayn nahi rakha 84 ke ghaav abhi bhi hai....
ReplyDeleteये जूता कब से इंतज़ार कर रहा था...आखिर चल ही गया...किसी ने तो चलाया...किसी ने तो हिम्मत की ...शाबाशी का हकदार है वो.
ReplyDeleteनीरज
यदि देश के सभी राजनैतिक दल मिल कर यह तय करले कि पार्टीयों को सीटें मतदाताओं के मिले मतदानों के प्रतिशत के आधार पर मिलेगी तो शायद कुछ बेहतर परिणाम देश के हित मे आ सकेगें।जिस पार्टी को जिस राज्य में जितनें प्रतिश्त मत प्राप्त हो उसे उतनी ही भागीदारी सरकार को चलाने में दी जाए।तब शायद देश का कुछ भला हो सकेगा। नही तो ये जोड़ तोड़ की राजनिति करने वाले हमारे नेता, देश के मतदाताओं से ऐसे ही धोखा करते रहेगें।मतदाता वोट देता है किसी की नितियों का विरोध करने के लिए,लेकिन ये पार्टीयां उसी पार्टी से साँठ-गाठ करके हमारे विरोध की धज्जियां उड़ा देती हैं।इस से बचने का यही एक तरीका हो सकता है।कि पाए गए कुल मतों के आधार पर पार्टी को सीटे दी जाएं।ऐसी एक आचार संहिता बनाने की आज बहुत जरूरत है। तभी हमारे दिए गए मत की कोई कीमत लगाई जा सकेगी।नही तो हमारी वोट की कीमत कब दो कोड़ी की हो जाएगी,हम नही कह सकते।
ReplyDeleteबहुत ही क्रांति करी और आवश्यक है आपके सुझाव को अम्ल में लाना
bhut hi achha sujhav hai,jab vichar aya hai to jrur kriyanvit bhi hoga .
ReplyDeleteshubhkamna.
दुख की बात तो ये है कि ये जूता केवल सियासर के लिये ही चलता है अगर ऐसा जूता भ्रष्टा्चार के खिलाफ चले तो ये सब नेता सुधर जायेंगे वेसे आपके सुझाव काबिले गय्र है
ReplyDeleteशायद कोई जरनैल कभी आपकी आवाज़ भी बुलन्द करेगा आशा पर हि तो जी रहे हैं वर्ना नेताओं ने तो कब मार दिया होता 1पंजाब दी खुश्बू पर भी कोई रचना भेजें धन्य्वाद्
ठेके पर दे दें या फिर वोट कराने की जगह लाटरी डाल लें.
ReplyDeleteआप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteमैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को ग़ज़ल,गीत डालता
हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीनहै कि आप को ये पसंद आयेंगे।
vicharniya lekh....
ReplyDelete..Aap litna hi soch lein ki ap apne kiye lo zindagi bhar chupa le jaiyenge par ek din apka kiya chaaron taraj\f se aapko gher leta hai....
...aur uspr zindagi bar us apradh ko chipane ka apradhbodh, kuntha aur mansik pressure....
...to agar "Dhuan (joota) utha hai to aag (1984) to jali hi hogi...."
arop aur pratyaropon ka makad jaal wahi log bunte hain jinke apne khate mein kuchh achha kehne ko nahi hota.. achha likha apne..
ReplyDeleteyah bhi sach hai lekin juta ek patrkar ko nahi chana chahiye tha.plz read my artical jarnail tune ye kya kiya
ReplyDeleteJanmdin ki shubh Kamna....
ReplyDeleteपरमजीत जी, ये पीड़ितों की आवाज़ है। शानदार... आगे भी ऐसे ही लेख पढ़ने को मिलेंगे। मेरे ब्लॉग पर आपकी टिप्पणियों का इंतज़ार रहेगा। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteये ठीक है कि जूता चल गया पर असर क्या है? यहाँ सब बेशर्म बैठे हैं.
ReplyDeleteबाली साहब ,आप तो बस कमाल है,करनैल सिंह का मसला अच्छा उठाया है !पर सिर्फ जुटा चलने से क्या होगा ,ज़रूरत हम सभी को अपना फ़र्ज़ निभने की ज़रूरत है!दूसरो को दोष देने की बजाय हम केवल अपना काम ही ईमानदारी से करें तों मै सोचता हूँ ये बड़ी भागीदारी होगी!
ReplyDeleteअछे लेखन की बधाई स्वीकारें !
जूते की महिमा अनन्त है, इसमें कोई दो राय नहीं।
ReplyDelete----------
S.B.A.
TSALIIM.
are vah! itna dilkash, itna mazedar! shukriya. behad pyara hai aapka blog.... -satyanarayan soni
ReplyDeleteएक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।
ReplyDeleteएक बात यह हो सकती है, यदि देश के सभी राजनैतिक दल मिल कर यह तय करले कि पार्टीयों को सीटें मतदाताओं के मिले मतदानों के प्रतिशत के आधार पर मिलेगी तो शायद कुछ बेहतर परिणाम देश के हित मे आ सकेगें।जिस पार्टी को जिस राज्य में जितनें प्रतिश्त मत प्राप्त हो उसे उतनी ही भागीदारी सरकार को चलाने में दी जाए
ReplyDeleteअच्छा सुझाव है
श्याम सखा‘श्याम
Bahut achha sujhaav hai aapka, aur likhne ka tareeka aur bhi umda...
ReplyDeleteAchhi peshkash aur vichaarpuran vishay ke liye hardik badhaai..
इन्कलाब तो आयेगा,पर तब जब पानी सर से गुज़र जाएगा ,हमारी सहनशक्ति बहुत ज़्यादा है न
ReplyDeleteभ्रष्टाचार इतना अधिक है कि किसी से भी- खास कर-नेताओं से ईमानदारी की उम्मीद करना व्यर्थ है।
ReplyDeleteJoote ka asar to hua hee. Aapka Achar samhita ka Suzaw bahut achcha hai par Jab Nirwachan Aayog ki hee Sunwaee nahee hoti to matdata ki kaun sune.
ReplyDeleteबाली साहब आपने कमेन्ट किया मुझे बहुत अच्छा लगा । आपका एबाउट मी भी
ReplyDeleteमैने पढ़ा । इतने अच्छे विचारक और लेखक हैं यह आपके ब्लाग को पढ़ने के बाद
पता चला । आपको ढेर सारी बधाई । आप लिखते रहें और हम सभी लोगों को
लाभािन्वत करते रहें ।
जूता तो १२ बजे प्रेस कांफ्रेंस होने की वजह से ही चला।
ReplyDeleteHi,
ReplyDeleteThank You Very Much for sharing this effective article here.
Healthy Lifestyle | Healthy Living | Fitness Tips | Sasan Forest
अरे भई, आखिर जूते पर मामला कब तक अटका रहेगा।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
tippani ke liye shukriya ....
ReplyDeleteaapne bahut achha likha hai.
Shayad abhi awaam jaga hi nahi........
ReplyDeleteshayad awaam abhi pareshan hi nahi.....
shayad awaam ko apni pareshanio or adhikaro ka pata hi nahi....
shayad abhi tak koi awaaj paida nahi hui jo awaam ki awaaj ban sake....
Bahut sundar rachana..Nice Article...
ReplyDeleteRegards.
DevPalmistry |Lines tell the story of ur life
आदरणीय बाली साहब,
ReplyDeleteये तो बहुत बजा फ़रमा चुके आप मगर अब ब्लाग पर लौट भी पड़िए कितनी छुट्टी मनाइएगा ?
hello... hapi blogging... have a nice day! just visiting here....
ReplyDeleteपरमीत जी हम आप से पूरी तरह से सहमत है | कोई भी व्यक्ति ऐसा कदम जब उठता है जब एक दम सीने में आग लगती है|
ReplyDeleteSir aap ki bat bilkul sahi hai... nirasha, hatash me aadmai kya kare... juta frustation ko nukalane ka ek tarika ban gaya hai aur hamesha se hi raha hai...bahut achchha article..
ReplyDeleteRegrads
DevSangeet
bahut hi sahi lekh..
ReplyDeletebadhai
kamal ka mudda uthaya. Bali sahab badhai ho. milte raheyega.
ReplyDeleteआप ने मेरे ब्लोग पर आक्रर मुझे इज्जत बख्शी. धन्यवाद
ReplyDeleteAadarniya Paramjit ji............ Sir........... pehle to main apka shukriya adaa karna chahunga........... aap mere blog pe aaye aur mera hausla badhaya........ dhanyawaad.........
ReplyDeletemain apke is lekh se poori tarah sahmat hoon.......... loktantra........... ka matlab ignorance nahi hai..... jab ye ignorance badh jaati hai....... to aisehi joote wale incident hote hain ............
Once again m thankful 2 U..........
Regards..........
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeletethis post ofurs is very nice
ReplyDeleteJoota chala, to achchha huaa, par aap apni kalam bhi chalaate rahen, achchha likhte hain.
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
bhut hi achcha lekh hai.ab likhna kyo band kiya hua hai.
ReplyDeletebadhiya hai|
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