कुछ दिनों पहले एक पोस्ट पढ़ी थी जिस में हिन्दूओं को एक"हिन्दू आर्मी" में भरती होने का आवाहन दिया जा रहा था। ताकी हिन्दू धर्म की रक्षा हो सके। इसी तरह एक अन्य पोस्ट पर लिखा था "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं।" पढ़ कर अजीब -सा एहसास हुआ। मैं पूछ्ना चाहता हूँ कि किस बात का गर्व करें हम हिन्दू हैं? क्या इस बात का कि देश में सर्वाधिक हिन्दू होनें के बावजूद भी देश में संप्रदायी जहर बढ़्ता जा रहा है फैलता जा रहा है या अपने ऐसे नारों से दूसरे अल्पसंख्यकों में भय का संचार करते रहनें का? यह सब पढ़ कर सोचनें को मजबूर हुआ कि क्या जिस देश को हम धर्मनिरपेक्ष देश कहते हैं, क्या यही वह धर्म निरपेक्ष देश है? जिस पर कभी सभी को गर्व था। क्या इस तरह की बातें यह साबित नही करती कि यहाँ धीरे-धीरे भीतर ही भीतर कोई आग सुलग रहा है? एक जहर घोला जा रहा है। यह जहर मात्र एक कौम या सिर्फ एक फिरका नही घोल रहा,बल्कि सभी कौमों और फिरकों द्वारा फैलाया जा रहा है।
कहीं मुसलमान कश्मीर की आजादी की बात कर के फैला रहा है तो कही विदेशों मे बैठे सिख खालिस्तान की आवाज उठा कर फैला रहे हैं। तो कहीं ईसाई मिशनरियां धर्म प्रचार का नाम लेकर हिन्दू ओं के धर्म परिवर्तन का ऎजैडा चला कर फैला रही हैं। गरीब व लाचार हिन्दू भाई-बहनों को साम,दाम,दंड व भेद की निति के आधार पर उन का धर्म परिवर्तन करवा कर हिन्दू समाज को नीचा दिखानें की कोशिश कर रही हैं। सभी अपनें -अपनें ढंग से यह जहर अपनें देश में घोलते जा रहें हैं। हमें इन बातों से शर्मिदा होना चाहिए कि गर्व करना चाहिए? यह सब हमारे अपने उस देश में हो रहा है जिस कि आजादी के लिए सभी ने मिलकर एक साथ इंकलाब का बिगुल बजाया था। जिस के लिए सभी कौमों नें मिल कर खून बहाया था। उसी देश में आज जो जहर घुलता जा रहा है उसे देख कर हम सभी भारतीय को चुल्लू-भर पानी में डूब मरना चाहिए। लेकिन हमें तो यानि कि सभी कौमों को अपनें -अपनें पर गर्व हो रहा है। हिन्दू छाती ठोंक कर कहना चाहता है कि "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"
वहीं मुस्लमान यह एह्सास कराना चाहता है कि "कश्मीर की आजादी के लिए जिहाद करने वाला मुसलमान ही सच्चा मुसलमान है।"वही ईसाई मिशनरियों को इस बात का गर्व है कि वह गरीब व मजलूमों को लालच व फरेब देकर ईसाई धर्म में ला कर बहुत नेक काम कर रहे हैं। और विदेश में बैठे सिखों को गर्व है कि वह खालिस्तान का जो बिगुल बजा रहें हैं वह एक दिन जरूर रंग लाएगा।(शेष अगले भाग में पढ़े)
कहीं मुसलमान कश्मीर की आजादी की बात कर के फैला रहा है तो कही विदेशों मे बैठे सिख खालिस्तान की आवाज उठा कर फैला रहे हैं। तो कहीं ईसाई मिशनरियां धर्म प्रचार का नाम लेकर हिन्दू ओं के धर्म परिवर्तन का ऎजैडा चला कर फैला रही हैं। गरीब व लाचार हिन्दू भाई-बहनों को साम,दाम,दंड व भेद की निति के आधार पर उन का धर्म परिवर्तन करवा कर हिन्दू समाज को नीचा दिखानें की कोशिश कर रही हैं। सभी अपनें -अपनें ढंग से यह जहर अपनें देश में घोलते जा रहें हैं। हमें इन बातों से शर्मिदा होना चाहिए कि गर्व करना चाहिए? यह सब हमारे अपने उस देश में हो रहा है जिस कि आजादी के लिए सभी ने मिलकर एक साथ इंकलाब का बिगुल बजाया था। जिस के लिए सभी कौमों नें मिल कर खून बहाया था। उसी देश में आज जो जहर घुलता जा रहा है उसे देख कर हम सभी भारतीय को चुल्लू-भर पानी में डूब मरना चाहिए। लेकिन हमें तो यानि कि सभी कौमों को अपनें -अपनें पर गर्व हो रहा है। हिन्दू छाती ठोंक कर कहना चाहता है कि "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"
वहीं मुस्लमान यह एह्सास कराना चाहता है कि "कश्मीर की आजादी के लिए जिहाद करने वाला मुसलमान ही सच्चा मुसलमान है।"वही ईसाई मिशनरियों को इस बात का गर्व है कि वह गरीब व मजलूमों को लालच व फरेब देकर ईसाई धर्म में ला कर बहुत नेक काम कर रहे हैं। और विदेश में बैठे सिखों को गर्व है कि वह खालिस्तान का जो बिगुल बजा रहें हैं वह एक दिन जरूर रंग लाएगा।(शेष अगले भाग में पढ़े)
परमजीत,
ReplyDeleteइतिहास में कभी हिन्दू-धर्म के प्रचार के लिए युद्ध नहीं हुआ। कुछ कट्टरपंथियों ने यह काम करने का बीडा उठा ही लिया है!
तो हमें गर्व होना चाहिए कि अब हम इतिहास में पिछडे वर्ग में नहीं रह गए। अब आने वाले कोई नस्ल कह सकेगी - हिन्दुत्त्व आतंकवाद।
क्या यह बात गौरवशाली नहीं।
परमजीत भाई, हिंदू संस्कृति को धर्म, जो कि अब एक संकुचित शब्द मात्र रह गया है, के दायरे में लाकर इसे भी छोटा किया जा रहा है। हिंदू धर्म तो ऐसा है कि काफिले आते गए, कारवॉं बनता गया। हूड़ आए, कुषाण आए और कितने लोग आए और हिंदू धर्म में उनके लिए भी एक देवता की मूर्ति बन गई। मूर्तियों की एक श्रृंखला सी बन गई है। अब भारत में भी विभिन्न धर्म हैं जो व्यक्तियों द्वारा प्रवर्तित हैं। बौद्ध, जैन, सिख और नए में देखें तो स्वामीनारायण और न जाने कितने धर्म बन रहे हैं या बनने की प्रक्रिया में हैं।
ReplyDeleteमुझे नहीं लगता कि यह कहने की जरूरत है कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं। ये वही आदमी कह सकता है जिसे हिंदू धर्म के गरबीले होने पर कहीं न कहीं संदेह है। यह तो ऐसा शब्द है जो अच्छी और सर्वधर्म समभाव से ओत-प्रोत है। हिंदुस्तान से ही हिंदू बना है और हिंदुकुश की पहाड़ियों के पार के लोग ही विदेशियों द्वारा हिंदू कहे गए। भारत तो एक देश की अनुभूति देता है, लेकिन हिंदुस्तान वैश्विक अनुभूति देने वाला शब्द है।
but i say form proud and loud..
ReplyDeleteI AM HINDU...I WANT TO BE CALLED HINDU.
GARV SE KAHO HUM HINDU HAI..!!
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