इस धर्म परिवतन को लेकर ना जानें कितने झगड़े व खून खराबा आए दिन होता रहता है।आज यह साबित करना मुश्किल होता जा रहा है कि लोग अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करते हैं या फिर किसी लालच या भय के कारण वह इस ओर जाते हैं।हमारा इतिहास बताता है कि हिन्दू धर्म पर यह हमला आज से नही बहुत पुरानें समय से हो रहा है।जब देश मे मुगल राज्य की स्थापना हुई थी उस समय भी कई ऐसे शासक थे जो हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया करते थे।इतिहास इस का गवाह है।
लेकिन उस के बाद ईसाईयों ने इस काम को संभाल लिआ। आज जो धर्म परिवर्तन हो रहे हैं, वह स्वैछा से बहुत कम हैं। लेकिन गरीबी व अपमानित जीवन से मुक्ति पानें के लिए ज्यादा हो रहे हैं।इस के पीछे लालच व सुविधाओं का लोभ रूपी दाना डाला जा रहा है।जिस में गरीब हिन्दु आसानी में फाँसा जा रहा है। समझ नही आता कि इस तरह धरम परिवर्तन कराने मे उन्हें क्या फायदा होता है? यदि वह बिना धर्म परिवर्तन कराए ही उन को वही सुविधाएं प्रदान कर दे और धर्म परिवर्तन के लिए कोई दबाव ना डाले तो क्या इस तरह कार्य या सेवा करनें से उन के ईसा मसीह उन से नाराज हो जाएगें ?
यहाँ स्पस्ट करना चाहुँगा कि यह लेख किसी धर्म की निंदा करने के लिए नही लिखा जा रहा।इसे लिखने का कारण मात्र इतना है कि जो अपने धर्म के अनुयायीओं की सख्या बढाने के चक्कर में दुसरों को लालच या भय के द्वारा भ्रष्ट करते हैं, उन्हें रोका जा सके। उन के द्वारा किए गए ऐसे कार्य कुछ लोगो को उकसानें का कारण बन जाते हैं जिस से देश में रक्तपात व आगजनी की शर्मनाक घटनाएं होती रहती हैं।इन सभी को रोका जा सके।
लेकिन इस धर्म परिवर्तन के पीछे मात्र ईसाई ही एक कारण नही हैं।इस के पीछे हमारी दलितो और गरीबों के प्रति हमारी मानसिकता भी एक कारण है। आज भी दलितो को कोई पास नही बैठनें देता।भले ही शहरों में यह सब कुछ नजर नही आता ,लेकिन गाँवों में यह आज भी हर जगह दिखाई पड़ता है।आप किसी भी गाँव में चले जाए। वही आप को दलितों को कदम कदम पर अपमान का घूट पीते देखा जा सकता है।ऊची जातियो द्वारा दिया गया यही अपमान उन्हें धर्म परिवर्तन की ओर ले जा रहा है।लोगो का ऐसा व्यवाहर भी इस धर्म परिवर्तन का एक कारण हो सकता है। इस लिए यदि हमें इस धर्म परिवर्तन को रोकना है तो सब से पहले इस निम्न वर्ग कहे जानें वालो के मन से छोटेपन का एहसास हटाना होगा।उन्हें अपने साथ बराबरी का दर्जा देना होगा। उसे कदम कदम पर अपमानित होनें के कारणो को दूर करना होगा।इस के लिए ईसाईयो के घर जलाने की नही, किसी को मारने की नही है। बल्कि अपने भीतर बनी ऊँच-नीच की दिवार गिरानी होगी,अपने भीतर के इन कुसंस्कारों को जलाना होगा। यदि हम उन दलित्व पिछड़े कहे जानें वालों को बराबरी का हक दे देगें ,तो फिर कोई लालच उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए, उकसाने मे सफल नही हो सकता।लेकिन क्या शोर मचानें वाले लोग इस कार्य को व्यवाहरिक रूप में ला सकते हैं? यदि ला सकते हैं तो बहुत हद तक इस धर्म परिवर्तन की समस्या से बचने का समाधान हो जाएगा।
यदि फिर भी धर्म परिवर्तन की समस्या का समाधान नही होता तो आप को हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ जो मैनें किसी अपनें खास से सुनी थी।यह घटना बिल्कुल सच्ची है।
कुछ समय पहले एक पढा लिखा सिख नौजवान दिल्ली नौकरी की तलाश में आया था।लेकिन काफि कोशिश करनें के बाद भी उसे नौकरी नही मिल पा रही थी।इसी तलाश में उस के फाँके काटने की नौबत आ गई थी।लेकिन इसी बीच संयोग से उन का संम्पर्क एक विशेष संप्रदाय के विशिष्ट व्यक्ति से हो गया।खाली होनें के कारण वह सिख नौजवान उन के साथ उन के धार्मिक सस्थान में भी आने जानें लगा\ उन महाश्य को मालुम था कि यह एक जरूरत मंद है सो उसे अपनें धर्म में लानें के लिए उस पर जोर डालने लगे।उस नौजवान ने अपनी सारी समस्या उन के सामने रख दी कि पैसा धेला मेरे व मेरे घर वालों के पास नही है।नौकरी मिल नही रही।बिजनैस करने के धन नही है।शादी की उमर भी निकलती जा रही है।यदि आप मेरी मदद करें तो में आप के धर्म को अपना लूँगा।बस फिर क्या था। कुछ ही दिनों के बाद उसकी शादी हो गई।दिल्ली मे ही एक घर अच्छी खासी सिक्योरटी दे कर किराए पर एक घर दिला दिया गया।नौकरी तो नही मिली लेकिन उसे नया थ्रीव्हीलर दिला दिया गया।वह सिख धर्म बदल कर कुछ साल तक दिल्ली मे ही रहा।लेकिन एक दिन अचानक सब कुछ बेच कर,घर के लिए दी गई सिक्योरटी ले,,अपनी पत्नी को लेकर वापिस अपने गाँव लौट गया।वहाँ पहुच कर उस ने पुन: स्वयं व अपनी पत्नी को भी सिख धर्म मे ले आया।आज वह उसी धन से छोटा-सा बिजनैस कर रहा है और मजे से रह रहा है।जिन महाशय ने उन का धर्म परिवर्तन कराया था वे आज अपना सिर धुन रहे हैं।मैं सोचता हूँ कि यदि ऐसा ही रास्ता अपना कर इन लालच देकर धर्म परिवतन करवाने वालों को सबक सिखाया जाए तो वह भी आगे से किसी को लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने से शर्मसार होगें।
बहुत ही अच्छे कहा है ,आप ने मै भी यही चाहता हूँ
ReplyDeleteफिरदौस उर्फ़ मौसम जो एक ही आदमी है ओर जिनके ब्लॉग से अक्सर इस देश के लिए नफरत नजर आती है कायदे से उनके ब्लॉग पर बैन लगना चाहिए .
ReplyDeleteखास तौर से नजर डाले
जिया उर रहमान
उम्र -२४ साल
जामिया मिलिया का तीसरे साल में पढने वाला छात्र
मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नही ,अगर पकड़ा नही जाता तो नेहरू-प्लेस पर बोम्ब रखता ,कुछ ही लोगो का अल्लाह का ये फर्ज निभाने का मौका मिलता है ,मै इस्लाम की सेवा कर रहा हूँ .
जब उसे पोच्चा गया क्यों ऐसा कर रहे हो ?
गुजरात में जो हुआ उसके ख़िलाफ़ !
तो दिल्ली में मासूमो का मारकर कैसा बदला ?
जवाब में में गुस्सा "मार दो गोली मुझे "
साकिब निसार -उम्र २३ साल
जामिया मिलिया का graduates ,फिलहाल M.B.A की तैय्यारी सिक्किम की मनिपाल यूनीवर्सिटी से से
कहते है जिहाद के लिए बम रखा
शकील -उम्र २६ साल
जामिया मिलिया के आखिरी साल के इकोनोमिक्स के छात्र
कोई पछतावा नही ,हम अल्लाह के लिए कर रहे है ओर इस देश की इकोनोमी बरबाद कर देगे .
ये सब पढने के लिए इंडिया टुडे ओक्टोबर अंक पेज नंबर ३२-३९ पढिये तो जो लोग बड़े बड़े दावे पेश कर रहे थे इन मासूमो के बचाव में ,उनकी आँखे खुल जानी चाहिए ,अब या तो इंडिया टुडे झूठी है या सारे सबूत मन घड़ंत जैसा की सब कहते है .
जामिया मिलिया का अगर कोई छात्र ख़राब है तो इसमे जामिया को क्यों शर्म आती है ,हर यूनी-वर्सिटी में किस्म किस्म के शोहदे होते है ,इसमे यूनी-वर्सिटी की कोई गलती नही ,उम्मीद है अब वहां के वाइस चांसलर भी खामोश बैठेगे .
Aapki yahi abhilasha... Desh dharm yahi meri bhasha...
ReplyDeleteGood work. Keep writing...
Regards.
Bilkul sahi kaha hai aapne. darasal dharm parivartan kisi ka mazboori ka fayda uthane ke barabar hai. seva hi karni ho to bina swarth ke karani chahiye. hamare desh men jab koi hindu se anya dharm men parivartan karaya jata hai to koi kuchh nahin kahta aur agar vah vyakti vapas bhi apna dharm apna leta hai to bavela khada ho jata hai. minority ke naam par desh ko kya poora barbaad kar denge ye log. sab ko saman importance ki baat kyon nahin ki jati? hindu, muslim,christian sab saman adhikaron ke saath kyon nahin rahna chahte? hinduon ko jyada mat do parantu kam bhi kyon? seedha sa samikaran kyon nakar diya jata hai?
ReplyDeleteबहुत सही बात कही है आपने. @ यदि वह बिना धर्म परिवर्तन कराए ही उन को वही सुविधाएं प्रदान कर दे और धर्म परिवर्तन के लिए कोई दबाव ना डाले तो क्या इस तरह कार्य या सेवा करनें से उन के ईसा मसीह उन से नाराज हो जाएगें?
ReplyDeleteमैं आज तक यही नहीं समझ पाया कि कुछ लोगों की इंसानियत केवल धर्म देख कर ही क्यों जागती है? जब तक वह सिख था इंसानियत सोई रही. जैसे ही वह ईसाई बना इंसानियत जाग उठी. हर धर्म परिवर्तन के पीछे यह मानसिकता है. यह ग़लत है. इसे रोका जाना चाहिए.
@जामिया मिलिया का अगर कोई छात्र ख़राब है तो इसमे जामिया को क्यों शर्म आती है ,हर यूनी-वर्सिटी में किस्म किस्म के शोहदे होते है ,इसमे यूनी-वर्सिटी की कोई गलती नही ,उम्मीद है अब वहां के वाइस चांसलर भी खामोश बैठेगे .
ReplyDeleteनहीं वह खामोश नहीं बैठेंगे. ऐसे लोग आतंकवाद की एक कड़ी हैं.
सही विचार किया है आपने. हिन्दुओं को दोनों मोर्चों पर लड़ना है. अपने ही 'मूर्ख' भाइयों से जो तथाकथित दलितों के मन्दिर प्रवेश को रोकते हैं या उन्हें अपने से कम समझते हैं.
ReplyDeleteसाथ ही उन भेड़ियों से भी निपटना होगा जो इस देश की जड़ों को धीरे धीरे काटकर इस राष्ट्र-वृक्ष को धराशायी कराने का षडयंत्र कर रहे हैं. भोले-भाले, गरीब , अशिक्षित और सबपर विश्वास करने वाले हिन्दुओं को लालच देकर या फुसलाकर उनका धर्मं परिवर्तन करना वैसे ही है जैसे किसी अबोध बालिका से किसी अधेड़ द्वारा यौन-सम्बन्ध स्थापित करना. उस अबोध बालिका को भी इस कुकृत्य के आगे-पीछे होने वाले परिणामो के बारे में कुछ पता नहीं होता. उसे यही नहीं पता कि वह एक बहुत बड़े अपराध की शिकार हो रही है. (यदि यह रूपक गंदा लग रहा हो तो माफ़ कीजियेगा. )
एक उदाहरन दिया /मेरा बच्चा किसी दूसरे के घर तरफ़ आकर्षित होता है कारण खोजो =क्या घर में आर्त्हीं तंगी है ,प्रेम नहीं मिलता ,दूसरे घार में ज़्यादा आकर्षण है -वो ज़्यादा सुबिधा और प्रेम दे रहा है /""कुछ तो मजबूरियां रही होगी ,आदमी यूँ वेबफा नहीं होता ""गंभीर चितन कीई जरूरत है /इतिहास देखिये =जब वेद और पंडितों की उलझन भरी थियोरी से लोग परेशान हुए तो एक नया धर्म आया -ये नए धर्म का आकर्षण और पुराने के प्रति बगावत का प्रतीक था / एक तो अपने घर की कमियाँ देखना पढेगा और फिर उधर भी नजर रखना होगी कि ""घरों की राख फिर देखेंगे ,पहले देखना ये है -घरों को फूँक देने का इशारा कौन करता है /दो तरफा द्रष्टि डालना होगा
ReplyDeleteआपके विचारो से सहमत हूँ . भाई खुशी की बात है एक मुस्लिम भाई ने आज जबलपुर में हिंदू धर्म अपना लिया है.
ReplyDeletePARAMJEET SAHEB, AAPNE DHARM PARIVARTAN PAR ACHCHH LIKHA HAI. AAJ JO DHARM PARIVARTAN KRTE KARATE HAIN WE VASTAV ME SAMPRADAY PARIVARTAN KEE BAAT HAI. DHARMA TO KAAFI UPAR KEE BAAT HAI...
ReplyDeleteBahut sahi likha hai aapne, Maine bhi kuch apne shabdon main Hindu ki vyakhya ki hai http://sachinjain7882.blogspot.com/2008/10/blog-post_11.html jara gaur farmaaein
ReplyDeleteमुझे तो लगता है कि आज धर्म को लेकर जिस प्रकार की बातें सामने आ रही हैं, वह किसी न किसी मानसिक बीमारी के लक्षणों में जरूर आता होगा। और आश्चर्य का विषय यह है कि यह बीमारी दिनों दिन बढती जा रही है।
ReplyDeleteआप का कहना उचित है
ReplyDeleteस्वयं को समाज का ठेकेदार कहने वाले कुछ लोग
ये जानते ही नही वो क्या कर रहे हैं
इस समाज को जागना होगा
और धर्म-परिवर्तन पर लगाम लगनी ही चाहिए
बहुत अच्छे विचार हैं आपके, मैं तो शुरू से इसी पर लिखता रहा हूं http://www.shuaib.in/chittha/archives/182
ReplyDeleteपरमजीत जी, आपके इस लेख ने मेरी ग़ज़ल ko और आगे तक पहुँचा दिया. आपके इस लेख के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteAapane ek bahut achchha aur jaruri mudda uthhaya hai....dhanyawad!
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""
ReplyDeleteSab dharm ke naam pe hi kar rahe hain! Kyuun na hum dharm se hi nijaat paaen?
ReplyDeleteDharm ek tarah ki maanasik kamzori ki nishaani hai aur humein aaj kamzori ki nahin shakti ki zaroorat hai!!!!!!
hae pratikriyaa ka koi na koi kaaran hota hai. aaj hum us kaaran to jaane bina doosri pratrikriyaaein kar dete hain badi hi aasaani se apne gahr ke aaramdeh sofe pe bauthe baithe!
ReplyDeleteagar hamare saamne apne kisi ka seena cheer ke rakh diya jae to hum bhi uske baad insaaniyat bhool jaaenge. kisi mudde ki tah mein jaana baehtar hai use jar se ukharne ke liye na ki upar upar dekh kar andekha kar dena.......
bloggr jee apne kha isai or muslim ka kya fayda hota hai dhrm pariwartan karwakar to iska jawab bhut hi simple hai aap bhi punjab se hai aapko bhi pta hona chahiye ye log pahle to apna bhumat bnate hai or fir bad me alag desh ki mang karne lagte hai or iska udahran vartman pakistan hai
ReplyDeletejo kabhi bharat ka punjab sindh bluchistan hua karta tha lekin aaj bhi in logo ka yah kary jari hai vartman me hindu ko kattr hona bhut jaroori hai
बहुत अच्छे, यही उपाय ठीक है
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