Sunday, October 19, 2008
कुतर्को से समस्याएं और उलझती हैं
गुरू -चेला संवाद " मैं हिन्दू हूं" इस को पढ कर वहाँ टिप्पणी करना चाहता था।लेकिन किसी की भावनाएं आहत ना हो इस लिए अपने ब्लोग पर ही इसे लिखना बेहतर समझा।यदि हम समस्याओ का समाधान इसी तरह के कुतर्क दे दे कर एक दूसरे को समझाने की कोशिश करेगें,तो समस्याएं और उलझनें लगेगी।मैं यह नही कहता कि मेरा जवाब ठीक है,यह भी एक कुतर्क ही है।इसे कोई अन्यथा ना ले।
गुरू;भारत मे रहने वाले मुसलमान क्या भारतीय है?
चेला: हां भारतीय हैं।
गुरू; तो फिर ये पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के जीतने पर क्युँ खुश हो जाते है?भारत के जीतने पर क्यूँ इन के मुँह लटक जाते हैं?
चेला:( मौन है)
गुरू:जब भारत की धरती कश्मीर मे पाकिस्तानी झंडे लहराए जाते हैं तो मुसलमान भाई क्यूँ विरोध नही करते?
चेला;(मौन है)
चेला भला ऐसी बात का क्या जवाब देगा।भैया जी! कुतर्क से समस्याओ का समाधान नही होता।जिस थाली मे खाए और उसी मे छेद कर देगें तो थाली मे पड़ी खीर किसी को खाने को नही मिलेगी।यह काम हिन्दु ,मुसलिम, सिख ईसाई चाहे कोई भी करे।
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जब तक धर्म व जातपात को देश से ऊपर समझेंगे ये समस्याएं हमारा पीछा नही छोडेगी
ReplyDeleteअच्छा हो सब खीर खाएं
ReplyDeletesateek or yah saty hai . dhanywad.
ReplyDeleteभाई पकिस्तान मै भी मुस्लिम इतने खुश हाल नही जितने भारत मै है, ओर जो मुस्लमान भारत से बटंबारे के समय पाकिस्तान मै गये है उन का तो ओर भी बुरा हाल है, फ़िर भी कुछ लोग अगर ( सारे नही )भारत बिरोधी नारे लगाते है, पाकिस्तान के झण्डे लहरते है तो उन्हे किस नए रोका है, वो जाये उस पाकिस्तान मै जहां उन्है जन्न्त दिखती है, जाओ भाई जाओ तुम भी खुशी से रहो हम भी ढंग से रहे. शान्ति से रहो जाओ, हमे भी शान्ति से रहने दो.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत सही है......धन्यवाद।
ReplyDeleteमैं रतन जी की बात से सहमत हूँ - "जब तक धर्म व जातपात को देश से ऊपर समझेंगे ये समस्याएं हमारा पीछा नही छोडेगी".
ReplyDeleteयह बात भी बिल्कुल सही है कि कुतर्को से समस्याएं और उलझती हैं. एक सभ्य समाज में विचार विमर्श समस्यायें सुलझाने का एक शक्तिशाली तरीका है, पर यह विचार विमर्श आपसी प्रेम और आदर के वातावरण में होना चाहिए.
होता।जिस थाली मे खाए और उसी मे छेद कर देगें तो थाली मे पड़ी खीर किसी को खाने को नही मिलेगी।यह काम हिन्दु ,मुसलिम, सिख ईसाई चाहे कोई भी करे।
ReplyDelete" ya you are right, very true expression"
Regards
सौ फीसदी सहमत हूँ ...घर परिवार में भी कहा जाता है लडाई होने पर शांत रहो...बहस मत करो....
ReplyDeletegambhir tathya ko chutile andaz me kaha hai ,bahut badhiya.
ReplyDelete- dr. jaya
लेकिन कुतर्की लोगों को यह बात समझ में आए तब न?
ReplyDeleteअगर सब मिल केर रहें तो कोई परेशानी नही है
ReplyDeleteये भूमि सबको समान रूप से देती है
बांटने वाले तो हम ही हैं
सादर ब्लॉगस्ते,
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। आपने मेरे ब्लॉग पर पधारने का कष्ट किया व मेरी रचना 'एक पत्र आतंकियों के नाम' पर अपनी अमूल्य टिप्पणी दी। अब आपको फिर से निमंत्रित कर रहा हूँ। कृपया पधारें व 'एक पत्र राज ठाकरे के नाम' पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें। आपकी प्रतीक्षा में पलकें बिछाए...
आपका ब्लॉगर मित्र
बहुत अच्छी बात
ReplyDeleteहमारे मन का दीप खूब रौशन हो और उजियारा सारे जगत में फ़ैल जाए इसी कामना के साथ दीपावली की आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteदीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteआपकी सुख समृद्धि और उन्नति में निरंतर वृद्धि होती रहे !
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
भारत उनका हैं... जिन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व है... भारतीय एक धर्म नही एक सोच का नाम है, एक विचारधारा का नाम है, अपने ऊपर गर्व होने वाली सोच का नाम है.... जब हम किसी दुकानदार से समान लेते है तो उस से नही पूछते की भाई तुम्हारा धर्म क्या है, या फ़िर जब किसी रिक्शा आर बैठते है की भाई तुम हिंदू हो या मुसलमान ... जब कही कोई दुर्घटना हो जाए और डॉक्टर आपका इलाज करे तो आप इलाज करने वाले हाथों से नही पूछते की आप किसी हिंदू मुसलमान सिख या इसाई के हाथ हो... वो हाथ होते है इंसानियत के... एक भारतीय के...
ReplyDeleteअब तर्क या कुतर्क की बात कर ले... हम एक लोक तंत्र में रहते है.. सब को एक दायरे में रहते हुए अपनी बात कने का पूरा हक़ है... भगवन ने सब को बुद्धि दी है.... लेकिन अगर आप उस बुद्धि का इस्तेमाल देख की एकता और अखंडता को भाग करने के लिए लगायेंगे तो आप का अपराध क्षमा करने लायक नही है.. ये सब बातें राजनीति है.. इस के इलावा कुछ नही.... जो श्रीनगर में पाकिस्तान का झंडा लहराता है... तो भाई साहब उनके लिए पाकिस्तान की सीमा खोल देनी चाहिए, जाइए श्रीमान वहीं रहिये और झंडे लहरिये ..... जो श्रीमान कहते है, महाराष्ट्र सिर्फ़ मराठिओं का है, वो भी ग़लत है...महाराष्ट्र की तरक्की में योगदान सब लोगों का है...... किसी धर्म, जाती या वर्ग विशेष ने नही.....कारखानों में काम क्या सिर्फ़ मराठी लोग करते है... अगर और राज्यों के लोग निकल जायेंगे तो क्या कारखाने चलेंगे...ऐसे नही चलेगा....बिहार कह दे हम कोयला नही देंगे.... पंजाब और उत्तर प्रदेश कह दे हम गेहूं और चावल नही देंगे....कैसे चलेगा काम.... इस राजनीति से ऊपर उठे श्रीमान.....
हम तभी है, जब एक है....
achchha likha
ReplyDeletethik kaha aapne
ReplyDeleteKaash ham log ek vishisht jaatee prajatee ko leke behas karna band kar den !
ReplyDeleteMasla sirf cricketka nahee hai....kitne Hindustanee nijee taurse Rashtreey tyohar manate hain, jaiseki 15 August ya 26 January ? Na Hindu na muslim na parasi na sikh ya Isaayee ! Sarvajanik taurse kisi tarah zor zabardasteese daftaron-schoolonme log/ bachhe ikatthe ho jate hain par gharme koyee mithaee banta hai? Nahee...ekdoosareko jaise Holi ya Diwalipe deta hai, waisee badhayee deta hai? NAHI !KYON ?
आपके विचारों से मैं सहमत हूँ .सही लिखा है आपने .मैं आज ही आपके ब्लॉग पर आया हूँ .अभी सब पढ़ रहा हूँ .बाद में टिप्पडी लिखूंगा .
ReplyDeletebali ji sadar abhivadan,
ReplyDeleteaapki baat ka samarthan main apni baat kah kar karna chahti hoon ---------kya ham poori tarh se insaan ban paaye hain ?
ishwar ke yahan se ham jo ban ke aate hain wo nahin rah jaate kabhi hindu kabhi muslim aur kabhi isaai ban jaate hain !.
mujhe protsahit karne ke liye aabhar
bahut saahaseey baat hai .
ReplyDeletehamare raaj neta yahi kaam kar rahe hain .
ek din bharat ko baant kar kha jayenge .
aapse sahmat hu
ReplyDeleteकाफ़ी सही विषय पर पोस्ट लिखा...
ReplyDeleteमैं तो कहता हूँ की दोस्ती ही सबसे बड़ा धर्म है...
आपके लिए एक सुझाव है - कहीं कहीं "मात्राओं" में गलती है और कहीं कहीं "अंकार" छूट रहा है..अगर उन्हें सही कर लें तो लिखना और भी सार्थक हो सकता है..
सही और सटीक प्रस्तुति. हम सभी भारतीयों को उन शहीदों के बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए जो देश की खातिर स्वयं, परिवार, धर्म, जाति, क्षेत्र आदि सब भूल कर न्योछावर हो गए ताकि हम लोग सुरक्षित रह सकें.
ReplyDeleteSahi vichar hai aapke
ReplyDeleteAur Bat kahane ka bahut alag dhang ka aur bahut achachha praysh...
Regards
मुस्लमान कभी हिंदू के साथ नही रह सकते. गाँधी जी मन्दिर में बैठ कर कुरान पड़ते थे और क्या उन्हें हिम्मत थी की मस्जिद में बैठ कर गीता पड़ सके. मुसलमानों ने अंग्रेजो को भागने में जो किया उसके बदले पाकिस्तान लिया. हमें क्या मिला? एक और पाकिस्तान बनेगा २५ साल में ही.
ReplyDeleteअच्छी लेखनी...
ReplyDeletekya baat hai paramjit ji , itna sundar article likha hai ,chota hi sahi par man ke bheetar chala gaya . aur kitni sartak baat hai .
ReplyDeletevijay
mere blog per aapka comment dekha... dhanyawaad...
ReplyDeleteabhi abhi guru chela samwaad padha... darasal baat isse kahi aage ki hai... shayad auranzeb k samay mein hinduon per kathit zyadati se lekar malegaon visfot mein hinduon ki sanliptata tak sab kuch sawaal khade kar dene waala hai... mere khyal se hinduon aur muslimon ke beech nazriye ke fark ko ab tak siyasat hi hawa deti aayi hai....
aap ka dhanyabad !! mere blog per aane ke liye aapne samay nikaalaa aur mujhe encourage kiya.
ReplyDeletebat ki gaharai ko samjhe bina.kuchh nahin ho sakata hai.kuchh history ki study karana jaroori hai.varna arath ka anarth hona swabhawik hai.
ReplyDeleteSahi bat kahi hai
ReplyDeleteसादर ब्लॉगस्ते,
ReplyDeleteआपका यह संदेश अच्छा लगा। क्या आप भी मानते हैं कि पप्पू वास्तव में पास हो जगाया है। 'सुमित के तडके (गद्य)' पर पधारें और 'एक पत्र पप्पू के नाम' को पढ़कर अपने विचार प्रकट करें।
सोलह आने सही बार बार पढा फिर से बधाई अच्छी सोच और सामग्री प्रकाशित करने के लिए
ReplyDeleteaap ne sahi likha hai...lekin sab muslim pak. samarthak nahi hai. mera bharat mahan...saare jahan se accha hindustan hamara
ReplyDeletebahut sahi kaha. par aksar log tark or kutark ka bhed nahi samjhte isliye kutark karte hai. kuch log janbujhkar aisa karte hain.
ReplyDeleteकुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
ReplyDeleteकुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
Bali ji ek anurodh hai apni tasveer badal den.
वाह बहुत खूब. आपके ब्लॉग पर आने पर हर बार एक नया अनुभव होता है. आपकी लेखनी यूँ ही जादू बिखेरती रहे.
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव हैं.आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ, अच्छा लगा.अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा..
ReplyDeleteLife is larger than logic.
ReplyDeleteकुतर्क या वितर्क से आप सूर्य को चंद्र साबित कर सकते हैं.
मगर प्रेम में मन पानी की तरह निर्मल हो जाता है, जिस रंग में रंगो, रंग जाता है.
तो आयें -
नीले रंग से आसमान रंगे
हरे रंग से हरियाली
शांति के रंग सफ़ेद से तन मन उजला कर दें
आजाये इस देश में खुशहाली....
ji bilkul sahi likha, esa kyun hota hai???
ReplyDeleteawashya paden ek krantikari ki dastan...
http://www.aajkapahad.blogspot.com/
bilkul sahi kaha hai badhai
ReplyDeleteकुतर्क से समस्याओ का समाधान नही होता।
ReplyDeleteयह काम हिन्दु ,मुसलिम, सिख ईसाई चाहे कोई भी करे।
Bilkul sahi kaha aapne.
अच्छा मुद्दा उठाया है। काश इस पर सभी विचार करते।
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