Thursday, November 1, 2007

1984 के कुछ मनहूस यादें जो इंन्सानियत को शर्मसार करती रहेगी!



12 comments:

  1. क्या कहा जाय बाली साहब इंसान इंसान नही रहा हैवान होता जा रहा है. १९८४ के दंगें हो या किसी और समय के, ये दंगें देश के इतिहास के काले पन्ने है. हम चाह कर भी अपने आप को इनसे अलग नही कर सकते. पर अगर इनसे कुछ सिख कर एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने का प्रयास करें तो कोई बात बने.

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  2. बहु ही दर्दनाख तस्वीरें है। हमें तस्वीरें देख कर जी इतना आघाट लग रहा है तो जिन्होने यह सब सहा होगा उन पर क्या बीती होगी? अनुमान लगाना भी बड़ा मुश्किल है।

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  3. सत्ता की राजनीति और कांग्रेस के असली चेहरे का सच यही है। वैसे, इसका बीज इंदिरा गांधी ने खुद बोया था, जिसे राजीव गांधी ने खाद-पानी दिया। ये तस्वीरें गवाह है कि इस बात की देश के लिए कुर्बानी देने में सबसे आगे रहनेवाले सिख समुदाय को कैसे राजनीति का मोहरा बनाया गया था।

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  4. शर्मनाक, असहनीय, दुखदायी-पूरी मानवता को शर्मसार करती तस्वीरें.

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  5. क्या कहूं ... सिर्फ इतना कह सकता हूं कि चाहे ये तस्वीरें हों या फिर गोधरा की ... ऐसा लगता है कि क्या हिन्दू होना फक्र की बात है? फिर मन खुद ही कहता है ... बनाए रखना इस धर्म में लेकिन गांधी का राम जेहन में रहे मोदी या आडवाणी का नहीं ...

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  6. तस्‍वीरें देख और कल्‍पना कर मैं तो शर्मिंदा हूं आदमी के इन रूपों को देख कर

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  7. परमजीत जी
    आपका ब्लॉगजगत में होना बहुत अच्छा लग रहा है। अब हम एक सिक्ख के साथ भी विचार विमर्श कर सकते हैं। मैं पंजाब से हूँ, पंजाबी हूँ, और यहाँ जर्मनी में भी बहुत सिक्ख लोग मुझे जानते हैं। ये तस्वीरें देखकर दुख पहुँचा, लेकिन इस मुद्दे को सिक्ख नेता जिस तरह भुनाते रहे हैं, अपना काम निकालते रहे हैं, लोगों को शिक्षा देने की बजाय सामप्रदायिक्ता में झोंकते चले आ रहे हैं, उससे सिक्खों का भी कोई भला नहीं हुआ। अभी कल ही मैंने एक पोस्ट लिखी, आप ज़रूर पढ़ें। अगर आप अपना फ़ोन नंबर मुझे rajneesh_mangla@yahoo.com पर भेजदें तो आपसे बात करके खुशी होगी। अन्यथा आप यहाँ पर दिए वर्णन के अनुसार मुझे भी फ़ोन कर सकते हैं।

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  8. सत श्री अकाल परमजीत जी
    मेरा नाम कमल कनोजिया है
    मैं एक बी.कॉम तृतीय वर्ष का विद्यार्थी हूँ
    आपके ब्लॉग के फोटो देखकर मुझे अपने अन्दर एक अपराध बोध हो रहा है
    यदपि मैं उस समय १ वर्ष का था
    मुझे इस राजनीती से नफ़रत हो चली है
    आपका ब्लॉग निश्चित रूप से सर्वश्रेठ है
    आपसे बस यही निवेदन है की आप हमेशा इंसानियत का साथ दीजियेगा

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  9. manavta so kyu jati hai...

    insan sirf insan bankar nahi jee sakta...

    kya dard me fark hota hai...

    aag, goliya, bomb , teer- talwar ya anya hathiyar kisi ko pahchante hai kya...inka rukh jis taraf hoga, ye vahi vinash karenge... aao , pyar ki duniya ki or laute...

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