
गुरू -चेला संवाद " मैं हिन्दू हूं" इस को पढ कर वहाँ टिप्पणी करना चाहता था।लेकिन किसी की भावनाएं आहत ना हो इस लिए अपने ब्लोग पर ही इसे लिखना बेहतर समझा।यदि हम समस्याओ का समाधान इसी तरह के कुतर्क दे दे कर एक दूसरे को समझाने की कोशिश करेगें,तो समस्याएं और उलझनें लगेगी।मैं यह नही कहता कि मेरा जवाब ठीक है,यह भी एक कुतर्क ही है।इसे कोई अन्यथा ना ले।
गुरू;भारत मे रहने वाले मुसलमान क्या भारतीय है?
चेला: हां भारतीय हैं।
गुरू; तो फिर ये पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के जीतने पर क्युँ खुश हो जाते है?भारत के जीतने पर क्यूँ इन के मुँह लटक जाते हैं?
चेला:( मौन है)
गुरू:जब भारत की धरती कश्मीर मे पाकिस्तानी झंडे लहराए जाते हैं तो मुसलमान भाई क्यूँ विरोध नही करते?
चेला;(मौन है)
चेला भला ऐसी बात का क्या जवाब देगा।भैया जी! कुतर्क से समस्याओ का समाधान नही होता।जिस थाली मे खाए और उसी मे छेद कर देगें तो थाली मे पड़ी खीर किसी को खाने को नही मिलेगी।यह काम हिन्दु ,मुसलिम, सिख ईसाई चाहे कोई भी करे।